13 जनवरी 2000 से प्रकाशित

प्रतिभा, प्रकृति और प्रौद्योगिकी की त्रिमूर्ति भारत के भविष्य को बदल देगी: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली 2025-04-29

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में युग्म इनोवेशन कॉन्क्लेव को संबोधित किया।

इस अवसर पर उन्होंने इस बात पर बल दिया कि "युग्म" के रूप में यह महत्वपूर्ण सम्मेलन सरकारी अधिकारियों, शिक्षाविदों और विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों सहित विकसित भारत के सभी हितधारकों का संगम है- यह सहयोग का ऐसा स्वरूप है जिसका उद्देश्य विकसित भारत के लिए भविष्य की प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाना है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत की नवाचार क्षमता और डीप-टेक में इसकी भूमिका को बढ़ाने के प्रयासों को गति मिलेगी। उन्होंने आईआईटी कानपुर और आईआईटी बॉम्बे में एआई, बुद्धिमत्तापूर्ण प्रणालियों और जैव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर केंद्रित सुपर हब के उद्घाटन का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने वाधवानी इनोवेशन नेटवर्क के शुभारंभ के बारे में भी बताया, जो नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के साथ मिलकर अनुसंधान को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। प्रधानमंत्री ने वाधवानी फाउंडेशन, आईआईटी और इन पहलों में शामिल सभी हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच सहयोग के माध्यम से देश की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने में समर्पण और सक्रिय भूमिका के लिए श्री रोमेश वाधवानी की विशेष रूप से सराहना की।

श्री मोदी ने संस्कृत में रचित मंत्रों और ऋचाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सच्चा जीवन सेवा और निस्वार्थ भाव से जिया जाता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भी सेवा के माध्यम के रूप में काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने वाधवानी फाउंडेशन जैसी संस्थाओं तथा श्री रोमेश वाधवानी और उनकी टीम के प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया, जो भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सही दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने श्री वाधवानी की संघर्षों से भरी उस उल्लेखनीय यात्रा के बारे में भी बताया, जिसमें विभाजन के बाद की स्थिति, अपने जन्मस्थान से विस्थापन, बचपन में पोलियो से जूझते हुए इन चुनौतियों से ऊपर उठकर विशाल व्यापारिक साम्राज्य का निर्माण करना शामिल है। श्री मोदी ने भारत के शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्रों को अपनी सफल यात्रा समर्पित करने के लिए श्री वाधवानी की सराहना की और इसे अनुकरणीय कार्य बताया। उन्होंने स्कूली शिक्षा, आंगनवाड़ी प्रौद्योगिकियों और कृषि-तकनीक संबंधी पहलों में योगदान के लिए फाउंडेशन के प्रति आभार प्रकट किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि वे इससे पहले वाधवानी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना जैसे कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह फाउंडेशन भविष्य में कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल करना जारी रखेगा। प्रधानमंत्री ने वाधवानी फाउंडेशन को उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के भविष्य का निर्माण उसके युवाओं पर निर्भर करता है। उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्य में शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रधानमंत्री ने इस सिलसिले में 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के प्रयासों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि देश में लाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वैश्विक शिक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में इसके माध्यम से लाए गए महत्वपूर्ण परिवर्तनों का भी उल्लेख किया। उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, पठन-पाठन संबंधी सामग्री और पहली से सातवीं कक्षा तक के लिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार किए जाने के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने पीएम ई-विद्या और दीक्षा प्लेटफार्मों के तहत एआई-आधारित और डिजिटल शिक्षा के विस्तार के बुनियादी ढांचे के लिए 'वन नेशन, वन डिजिटल एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर' मंच के निर्माण का भी उल्लेख किया, जिससे 30 से अधिक भारतीय भाषाओं और सात विदेशी भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों की तैयारी संभव हो सकी। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क से छात्रों के लिए एक साथ विभिन्न विषयों का अध्ययन करना आसान हो गया है, जिससे उन्हें आधुनिक शिक्षा मिल रही है और करियर के नए मार्ग प्रशस्त हो रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत में अनुसंधान संबंधी माहौल के लिए समुचित तंत्र को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया और बताया कि 2013-14 में अनुसंधान एवं विकास के लिए निर्धारित ₹60,000 करोड़ के सकल व्यय को दोगुना से बढ़ाकर ₹1.25 लाख करोड़ से अधिक कर दिया गया है, अत्याधुनिक अनुसंधान पार्कों की स्थापना की गई है और लगभग 6,000 उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ निर्मित किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने भारत में नवाचार संस्कृति के तेजी से विकास का उल्लेख किया और बताया कि 2014 में लगभाग 40,000 पेटेंट दाखिल हुए थे, जिनकी संख्या बढ़कर 80,000 से अधिक हो गयी है। इससे युवाओं को देश के बौद्धिक संपदा से जुड़े तंत्र के माध्यम से प्रदान किए गए सहयोग की झलक मिलती है। प्रधानमंत्री ने अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए 50,000 करोड़ रुपए के नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना और वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन पहल का भी उल्लेख किया, जिससे उच्च शिक्षा के छात्रों के लिए विश्व स्तरीय शोध पत्रिकाओं तक आसानी से पहुंच की सुविधा मिली है। उन्होंने प्रधान मंत्री अनुसंधान फैलोशिप पर भी बल दिया, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रतिभाशाली व्यक्तियों को अपने करियर को आगे बढ़ाने में कोई बाधा नहीं आएगी।

श्री मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि आज युवा न केवल अनुसंधान और विकास में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि वे स्वयं भी इसमें सार्थक हस्तक्षेप के लिए तैयार हैं। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए भारत की युवा पीढ़ी के परिवर्तनकारी योगदान पर भी बल दिया। उन्होंने भारतीय रेलवे के सहयोग से आईआईटी मद्रास में विकसित 422 मीटर के विश्व के सबसे लंबे हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक को चालू किये जाने का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बैंगलुरू के वैज्ञानिकों की ओर से नैनो-स्तर पर प्रकाश को नियंत्रित करने के लिए विकसित नैनो प्रौद्योगिकी और किसी आणविक फिल्म में 16,000 से अधिक संवाहन अवस्थाओं में डेटा संग्रहीत और संसाधित करने में सक्षम 'ब्रेन ऑन ए चिप' तकनीक जैसी अभूतपूर्व उपलब्धियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कुछ सप्ताह पहले ही भारत की पहली स्वदेशी एमआरआई मशीन के विकास का भी उल्लेख किया। श्री मोदी ने उच्च शिक्षा इम्पैक्ट रैंकिंग में भारत की स्थिति को दर्शाते हुए कहा, "भारत के विश्वविद्यालय परिसर ऐसे ऊर्जस्वी केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं, जहां युवाशक्ति महत्वपूर्ण नवाचारों को आगे बढ़ाती है"। इस रैंकिंग में वैश्विक स्तर पर शामिल 2,000 संस्थानों में 90 से अधिक भारतीय विश्वविद्यालय सूचीबद्ध हैं। उन्होंने क्यूएस विश्व रैंकिंग में भारत की स्थिति में वृद्धि का भी उल्लेख किया। 2014 में इसमें भारत के नौ संस्थान थे, जिनकी संख्या 2025 में बढ़कर 46 हो गयी। साथ ही उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में दुनिया के शीर्ष 500 उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व भी बढ़ रहा है। उन्होंने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास जैसे विदेशों में परिसर स्थापित करने वाले भारतीय संस्थानों का भी उल्लेख किया जिन्होंने अबू धाबी, तंजानिया में अपने केंद्र खोले हैं और आईआईएम अहमदाबाद दुबई में अपना परिसर स्थापित करने जा रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालय भी भारत में अपने परिसर खोल रहे हैं, जिससे भारतीय छात्रों के लिए शैक्षणिक आदान-प्रदान, शोध संबंधी सहयोग और परस्पर सीखने के अंतर-सांस्कृतिक अवसरों को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने अटल टिंकरिंग लैब्स जैसी पहलों का उल्लेख करते हुए कहा, "प्रतिभा, प्रकृति और प्रौद्योगिकी की त्रिमूर्ति भारत के भविष्य को बदल देगी"। अटल टिंकरिंग लैब्स में 10,000 प्रयोगशालाएं पहले से ही चालू हैं, और इस वर्ष के बजट में बच्चों को शुरुआती अनुभव प्रदान करने के लिए 50,000 और प्रयोगशालाएं स्थापित करने की घोषणा की गई है। उन्होंने छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पीएम विद्या लक्ष्मी योजना के शुभारंभ और वास्तविक माहौल में सीखने का अनुभव प्रदान करने के लिए 7,000 से अधिक संस्थानों में इंटर्नशिप सेल की स्थापना के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि युवाओं में नए कौशल विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं, जिनकी प्रतिभा, प्रकृति और तकनीकी शक्ति मिलकर भारत को सफलता के शिखर पर ले जाएगी।

प्रधानमंत्री ने अगले 25 वर्षों में विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के महत्व को रेखांकित करते हुए, कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि विचार से लेकर प्रोटोटाइप और फिर उत्पाद तक की यात्रा कम से कम समय में पूरी हो।" उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रयोगशाला से बाजार तक की दूरी कम करने से लोगों तक शोध के परिणाम तेजी से पहुंचेंगे, शोधकर्ताओं को प्रेरणा मिलेगी और उन्हें उनके काम के लिए ठोस प्रोत्साहन मिलेगा। इससे शोध, नवाचार और मूल्य संवर्धन के चक्र में तेजी आएगी। प्रधानमंत्री ने शोध के लिए सुदृढ़ माहौल बनाने का आह्वान किया और शैक्षणिक संस्थानों, निवेशकों तथा उद्योग जगत से शोधकर्ताओं का सहयोग और मार्गदर्शन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि युवाओं को सलाह देने, वित्त पोषण और सहयोग से नए समाधान विकसित करने में उद्योग जगत के दिग्गजों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। उन्होंने इन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए नियमों को सरल बनाने और प्रस्तावों को तेजी से स्वीकृति देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।

श्री मोदी ने एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, एडवांस्ड एनालिटिक्स, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य संबंधी प्रौद्योगिकी और सिंथेटिक जीव विज्ञान को निरंतर बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि एआई के विकास तथा उसे अपनाने में भारत आगे बढ़ रहा है। उन्होंने विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे, उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारत-एआई मिशन के शुभारंभ का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने प्रमुख संस्थानों, उद्योगों और स्टार्टअप के सहयोग से विकसित किए जा रहे एआई उत्कृष्टता केंद्रों की बढ़ती संख्या का भी उल्लेख किया। उन्होंने "मेक एआई इन इंडिया" के सपने और "मेक एआई वर्क फॉर इंडिया" के लक्ष्य को हासिल करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई। प्रधानमंत्री ने आईआईटी में सीटें बढ़ाकर क्षमताओं का विस्तार करने और आईआईटी और एम्स के सहयोग से चिकित्सा और प्रौद्योगिकी शिक्षा को जोड़कर मेडिटेक पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए बजट संबंधी निर्णय का भी उल्लेख किया। उन्होंने भविष्य की प्रौद्योगिकियों के मामले में भारत को "दुनिया में सर्वश्रेष्ठ" स्थान दिलाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन पहलों को समय से पूरा करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्रालय और वाधवानी फाउंडेशन के बीच सहयोग से युग्म जैसी पहल भारत के नवाचार परिदृश्य का कायाकल्प कर सकती है। उन्होंने इस दिशा में वाधवानी फाउंडेशन के निरंतर प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में आज के आयोजन का प्रभाव महत्वपूर्ण होगा।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, डॉ. जितेंद्र सिंह, श्री जयंत चौधरी, डॉ. सुकांत मजूमदार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

    Addressing the YUGM Conclave. Our endeavour is to empower the youth with skills that make them self-reliant and position India as a global innovation hub. https://t.co/J8kaoynOo9
    — Narendra Modi (@narendramodi) April 29, 2025

    Modernising the country's education system to meet the needs of the 21st century. pic.twitter.com/zf2ap0ZQMr
    — PMO India (@PMOIndia) April 29, 2025

    Bringing world-class knowledge within every student's reach. pic.twitter.com/SbG4kC12Is
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    India's university campuses are emerging as dynamic centres where Yuvashakti drives breakthrough innovations. pic.twitter.com/Gi4MxYlvep
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    The trinity of Talent, Temperament and Technology will transform India's future. pic.twitter.com/wCStA45d90
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    Make AI in India.

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