रायपुर 2025-04-06
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर के सेंटर ऑफ स्पेस एंड इंटरप्लेनेटरी एक्सप्लोरेशन (कोसाइन) ने "नासा यूरोपा क्लिपर मिशन की कहानी - यूरोपा की रहने योग्य परिस्थितियों की जांच" विषय पर 4 अप्रैल 2025 को एक वर्चुअल टॉक का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) से जुड़े प्रसिद्ध वैज्ञानिक मुरली गुडीपति मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। उन्होंने जुपिटर के बर्फीले चंद्रमा यूरोपा और इस महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। इस टॉक का आयोजन कोसाइन के फैकल्टी इन चार्ज डॉ. सौरभ गुप्ता के मार्गदर्शन में हुआ।
उन्होंने विज्ञान को "मस्तिष्क" और तकनीक को "शरीर" बताते हुए समझाया कि नए वैज्ञानिक अनुसंधान नई तकनीकों को जन्म देते हैं, और ये तकनीकें आगे विज्ञान को विकसित करने में मदद करती हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए विज्ञान और तकनीक को साथ मिलकर काम करना जरूरी है, क्योंकि इनमें से किसी एक की कमी हमें आगे नहीं बढ़ने देगी। उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण के चार प्रमुख स्तंभों के बारे में बताया – ऑब्जर्वेशन, मॉडलिंग, प्रयोगशाला अनुसंधान और नए उपकरण। प्रस्तुति में जलवायु परिवर्तन, सौर गतिविधियों के प्रभाव, ग्रहों और जीवन की उत्पत्ति, ब्रह्मांड की संरचना और अस्तित्व से जुड़े प्रश्नों पर ध्यान दिया गया। अंतरिक्ष में आगे बढ़ने और लंबे समय तक वहाँ रहने की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई।उन्होंने जीवन के लिए पानी, कार्बनिक पदार्थ, खनिज और ऊर्जा आवश्यक बताया। इसके अलावा, जीवन को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों जैसे कि रेडिएशन, वैक्यूम, दबाव और अत्यधिक तापमान से सुरक्षा की भी आवश्यकता के बारे मे बताया। उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर जीवन विकसित होने में लगभग 4 अरब वर्ष लगे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि किसी अन्य ग्रह पर जीवन की संभावना के लिए भी इतने लंबे समय तक अनुकूल परिस्थितियों का बने रहना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि चंद्रमा यूरोपा की संभावित रहने योग्य स्थिति का आकलन करने के लिए ‘यूरोपा क्लिपर मिशन’ लॉन्च किया गया था। यह मिशन 14 अक्टूबर 2024 को प्रक्षेपित हुआ, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 5.2 अरब डॉलर थी। यह मिशन 35 वर्षों बाद गैलीलियो मिशन की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा था, जिसने 18 अक्टूबर 1989 को अपनी यात्रा शुरू की थी और 21 सितंबर 2003 को समाप्त हुआ था। गैलीलियो मिशन की कुल लागत 1.4 अरब डॉलर थी। यूरोपा क्लिपर मिशन का उद्देश्य यूरोपा पर जीवन की संभावनाओं को समझना और उसके उपसतही महासागर का अध्ययन करना था, जिससे भविष्य में वहां मानवीय खोज और संभावित बसावट की संभावनाओं का अध्ययन किया जा सके । उन्होंने यह जानकारी दी कि सैटेलाइट अप्रैल 2030 में जुपिटर पर पहुँचने वाला है। यह मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। वैज्ञानिकों को इससे ग्रह के वातावरण, संरचना और अन्य रहस्यों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होंगी। इस मिशन मे ‘मैसेज इन ए बॉटल’ अभियान शुरू किया गया , जिसमें आम जनता को अपना नाम जोड़ने का अवसर दिया गया, जिसका उद्देश्य जनता को अंतरिक्ष अन्वेषण से जोड़ना था।
कार्यक्रम के अंत में वैज्ञानिक मुरली गुडीपति ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि यदि वे अंतरिक्ष की खोज (स्पेस एक्सप्लोरेशन) जैसे क्षेत्रों में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं, तो उन्हें बड़े सपने देखने चाहिए। अपने विषय में बढ़िया जानकारी हासिल करनी होगी, साथ ही लगातार प्रयास करते हुए आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी को पारंपरिक सोच से बाहर निकलकर नए ढंग से सोचने की आदत डालनी चाहिए, समस्याओं को अपनाकर उन्हें हल करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने काम के प्रति कठोर परिश्रम व अनुशासन रखना चाहिए।