13 जनवरी 2000 से प्रकाशित

युद्ध तथा सैनिक कार्यवाही में शहीद सैनिकों के आश्रितों को मिलेगी 50 लाख की अनुग्रह राशि

रायपुर 2025-09-15

युद्ध तथा सैनिक कार्यवाही में शहीद  सैनिकों की पत्नी अथवा उनके आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि में वृद्धि करते हुए इसे 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही युद्ध तथा सैनिक कार्यवाही में विभिन्न वीरता अलंकरण प्राप्त जवानों को दी जाने वाली राशि में भी वृद्धि की गई है। अब परमवीर चक्र प्राप्त वीर जवानों को 40 लाख रुपये की जगह 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी। यह महत्वपूर्ण निर्णय आज मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में सम्पन्न राज्य सैनिक बोर्ड की बैठक में लिया गया।

आज मंत्रालय महानदी भवन में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में सैनिक कल्याण विभाग की 6वीं राज्य सैनिक समिति की बैठक सम्पन्न हुई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारे सैनिक देश की सुरक्षा के लिए अपना जीवन न्यौछावर करते हैं। हम उनके शौर्य और बलिदान को नमन करते हैं। सरकार भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए सदैव प्रतिबद्ध है। बैठक में शहीदों की वीर नारियों, भूतपूर्व सैनिकों, विधवाओं एवं उनके आश्रितों के लिए राज्य द्वारा संचालित कई कल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा की गई।

मुख्यमंत्री श्री साय ने समिति की छठवीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि 140 करोड़ देशवासियों की सुरक्षा में हमारे वीर जवान दिन-रात तत्पर रहते हैं। भारत माँ की सेवा में अपना जीवन अर्पित करने वाले इन वीर सपूतों का कल्याण करना सबका दायित्व और कर्तव्य है। आज की बैठक में भूतपूर्व सैनिकों, विधवाओं और उनके परिजनों के हित में सार्थक चर्चा हुई है। बैठक में लिए गए निर्णयों का लाभ भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों तक सीधे पहुंचेगा। भूतपूर्व सैनिकों की बेहतरी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी सदस्यों द्वारा दिए गए हैं, जिन पर सकारात्मक रूप से विचार कर उचित निर्णय लिया जाएगा।

बैठक के दौरान भूतपूर्व सैनिकों, विधवाओं एवं उनके आश्रितों के हित में कई महत्वपूर्ण एजेंडा बिंदुओं पर निर्णय लिये गए। इनमें युद्ध तथा सैनिक कार्यवाही में शहीद (बैटल कैजुअल्टी) सैनिकों की पत्नी अथवा आश्रितों को अनुग्रह राशि 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करना, विभिन्न शौर्य अलंकरण प्राप्त सैनिकों को दी जाने वाली राशि में वृद्धि करना शामिल है। अब परमवीर चक्र प्राप्तकर्ता सैनिक को 40 लाख की जगह 1 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार सैनिकों के माता-पिता को दी जाने वाली जंगी इनाम राशि 5 हजार रुपये प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 20 हजार रुपये कर दी गई है। युद्ध तथा सैनिक कार्यवाही में दिव्यांग हुए सैनिकों की अनुदान राशि 10 लाख से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी गई है। साथ ही सेवारत सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों एवं विधवाओं को प्रथम भूमि/गृह क्रय करने पर 25 लाख रुपये तक के स्टाम्प शुल्क में छूट देने का निर्णय लिया गया।
 
इस अवसर पर मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन श्री अमिताभ जैन ने मुख्यमंत्री को बालवृक्ष भेंट किया। तत्पश्चात् सैनिक कल्याण संचालनालय छत्तीसगढ़ के संचालक एवं राज्य सैनिक समिति के सचिव ब्रिगेडियर विवेक शर्मा, विशिष्ट सेवा मेडल (से.नि) ने राज्य सैनिक बोर्ड, छत्तीसगढ़ की गतिविधियों की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने 13 जनवरी 2012 को आयोजित पाँचवीं राज्य सैनिक बोर्ड की बैठक की कार्यवाही विवरण पर प्रगति रिपोर्ट दी और 6वीं बैठक में सम्मिलित एजेंडा बिंदुओं पर चर्चा प्रारम्भ की।

बैठक में उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, सांसद रायपुर श्री बृजमोहन अग्रवाल, मध्य भारत क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल पदम सिंह शेखावत (पीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम), अपर मुख्य सचिव गृह विभाग श्री मनोज पिंगुआ, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत, केंद्रीय सैनिक बोर्ड नई दिल्ली के सचिव ब्रिगेडियर डी.एस. बसेरा (विशिष्ट सेवा मेडल), कमांडर छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा सब एरिया ब्रिगेडियर तेजिंदर सिंह बावा (सेना मेडल), सचिव वित्त विभाग श्री अंकित आनंद, सचिव सामान्य प्रशासन विभाग श्री अविनाश चंपावत, मेजर जनरल संजय शर्मा (से.नि), विंग कमांडर ए. श्रीनिवास राव (से.नि), श्री विक्रांत सिंह एवं श्री राजेश कुमार पाण्डेय राज्य सैनिक समिति छत्तीसगढ़ के सदस्यगण उपस्थित थे।


कभी नक्सल हिंसा के गढ़ के रूप में पहचाने जाने वाले सुकमा में अब विकास और शांति की नई इबारत लिखी जा रही है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं, मज़बूत सुरक्षा तंत्र और जनता की बढ़ती भागीदारी ने जिले को बदलते दौर की ओर अग्रसर कर दिया है। इसी क्रम में पत्र सूचना कार्यालय, रायपुर, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा “नक्सल मुक्त भारत: समृद्धि और एकता की राह” विषय पर आयोजित वार्तालाप (कार्यशाला) में प्रशासन, पंचायत और पुलिस अधिकारियों ने सुकमा के बदलते परिदृश्य को साझा किया।

कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री देवेश कुमार ध्रुव ने कहा कि सुकमा आज तेज़ी से विकास और शांति की दिशा में बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बेघर परिवारों को पक्के मकान मिल रहे हैं, जबकि मनरेगा और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से रोज़गार और आजीविका के नए अवसर पैदा हुए हैं। महिलाओं को स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से गाँव-गाँव में स्वच्छता की नई परंपराएँ स्थापित हुई हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ ग्रामीणों की पहुँच में आई हैं और पुनर्वास केंद्रों के ज़रिए आत्मसमर्पित नक्सलियों को सम्मानजनक जीवन मिल रहा है।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री मुकुंद ठाकुर ने बताया कि योजनाओं का लाभ अब अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत 34,849 परिवारों को आवास स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 13,776 का निर्माण पूरा हो चुका है। विशेष श्रेणी में आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल पीड़ित परिवारों को भी घर उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा के अंतर्गत इस वर्ष अब तक 4.11 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है और 92,000 से अधिक श्रमिकों को रोज़गार मिला है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 2,747 स्व-सहायता समूह गठित कर 28,829 परिवारों को जोड़ा गया है। सिलाई, डेयरी और शहद उत्पादन जैसी गतिविधियों से महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

श्री ठाकुर ने आगे कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत हजारों परिवारों को व्यक्तिगत शौचालय उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं नक्सल पुनर्वास केंद्रों में अब तक 127 आत्मसमर्पित नक्सलियों को कृषि, उद्यमिता और तकनीकी प्रशिक्षण देकर मुख्यधारा से जोड़ा गया है। उनका कहना था कि लक्ष्य केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि जनता की सक्रिय भागीदारी से आत्मनिर्भर और समृद्ध सुकमा का निर्माण है।

पुलिस अधीक्षक श्री किरण चव्हाण ने कहा कि नक्सलवाद ने लंबे समय तक निर्दोष लोगों और जवानों की बलि ली है, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से गाँव-गाँव में कैंप स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार जैसी सुविधाएँ सीधे लोगों तक पहुँच रही हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के अंत के लिए सुरक्षा और एकता सबसे अहम आधार हैं। जनता का भरोसा सुरक्षा बलों पर बढ़ा है और लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि 2026 तक न केवल सुकमा बल्कि पूरा बस्तर और भारत नक्सलवाद से मुक्त होगा।

कार्यक्रम के अंत में यह संदेश उभरकर सामने आया कि सुकमा और बस्तर अब भय और पिछड़ेपन की पहचान नहीं, बल्कि शांति, समृद्धि और विकास की नई तस्वीर बन रहे हैं। प्रशासन, पुलिस और जनता के संयुक्त प्रयासों से 2026 तक नक्सलवाद के पूर्ण अंत का लक्ष्य केवल घोषणा नहीं, बल्कि साकार होती हक़ीक़त है।