रायपुर 2025-11-18
भिलाई इस्पात संयंत्र के शिक्षा विभाग एवं भारत स्काउट गाइड जिला संघ भिलाई के संयुक्त तत्वावधान में मैत्री बाग में 40वाँ कब–बुलबुल उत्सव उत्साहपूर्ण वातावरण में आयोजित हुआ। मुख्य जिला आयुक्त एवं महाप्रबंधक (शिक्षा) श्रीमती शिखा दुबे ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इंग्लिश मीडियम मिडिल स्कूल, सेक्टर–6 को इस वर्ष के उत्सव में विजेता घोषित किया गया।
जिला आयुक्त (गाइड) व प्राचार्या, बीएसपी सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर–10, श्रीमती सुमिता सरकार ने स्वागत उद्बोधन में सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह मंच बच्चों में रचनात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है। बीएसपी की विभिन्न शालाओं के लगभग 200 कब–बुलबुलों ने विविध प्रतियोगिताओं में भाग लिया। ध्वजारोहण व प्रार्थना के बाद बच्चों ने सामूहिक नृत्य, चित्रकला, विविध वेशभूषा, गंध–पहचान, स्वाद–पहचान और गाँठ–बाँधो जैसी स्पर्धाओं में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित की।
सामूहिक नृत्य में प्रकृति, पशु–पक्षी और परियों पर आधारित प्रस्तुतियाँ आकर्षण का केंद्र रहीं। बुलबुल–ट्री प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने विद्यालय-निर्मित सुसज्जित बुलबुल–ट्री के साथ घेरा गीत प्रस्तुत किया। साहसिक गतिविधियों के अंतर्गत कब छात्रों ने 12 फीट ऊँची रस्सी पर चढ़ने का प्रदर्शन किया, वहीं बुलबुल छात्राओं ने 15 मीटर रस्से पर संतुलन दिखाया। सभी प्रतियोगिताओं का मूल्यांकन शासकीय विद्यालयों के अनुभवी कब–बुलबुल विशेषज्ञ निर्णायकों द्वारा प्रस्तुति, समय, गणवेश और कौशल के आधार पर किया गया।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि मुख्य चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डॉ. उदय कुमार तथा विशिष्ट अतिथि महाप्रबंधक (निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व) श्री शिवराजन नायर उपस्थित थे। अतिथियों का पारंपरिक स्कार्फ पहनाकर स्वागत किया गया। उन्होंने विद्यालयों द्वारा तैयार बुलबुल–ट्री का अवलोकन किया और समापन सत्र में प्रस्तुत समूह नृत्य एवं विविध वेशभूषा की सराहना की। मुख्य अतिथि ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों में अनुशासन, साहस, सकारात्मक दृष्टिकोण और नेतृत्व क्षमता विकसित करते हैं। उन्होंने विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया।
समारोह का संचालन सहायक प्रबंधक (शिक्षा) श्री मनीष तिवारी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन भिलाई विद्यालय सेक्टर–2 के प्राचार्य श्री विजय सिंह पवार ने दिया। कार्यक्रम के सफल संचालन में विभिन्न विद्यालयों के प्रमुखों, शिक्षकों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों–कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।