13 जनवरी 2000 से प्रकाशित

सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को स्वीकृति

नई दिल्ली 2025-07-22

केंद्र सरकार ने 31 मई, 2023 को "सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना" को स्वीकृति दे दी है और इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। इस योजना में सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं, जैसे कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना योजना (एएमआई), कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (एसएमएएम), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (पीएमएफएमई) आदि के अभिसरण के माध्यम से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के स्तर पर गोदामों, कस्टम हायरिंग केंद्रों, प्रसंस्करण इकाइयों, उचित मूल्य की दुकानों आदि सहित विभिन्न कृषि अवसंरचनाओं का निर्माण करना शामिल है।

इस योजना की पायलट परियोजना के अंतर्गत 11 राज्यों के 11 पीएसीएस में गोदामों का निर्माण पूरा हो चुका है। इनका राज्यवार विवरण अनुलग्नक-I में संलग्न है। इसके अलावा, परियोजना के अंतर्गत गोदाम निर्माण के लिए 500 से अधिक पीएसीएस की पहचान की गई है और दिसंबर 2026 तक निर्माण पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सरकार ने नई बहुउद्देशीय पैक्स/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की योजना को स्वीकृति दे दी है, जिसका लक्ष्य पांच वर्षों की अवधि में देश की सभी पंचायतों और गांवों को कवर करना है। यह पहल नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा समर्थित है। पहल के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए 19 सितंबर, 2024 को 'मार्गदर्शिका' का शुभारंभ किया गया, जिसमें हितधारकों के लिए लक्ष्य और समय-सीमा निर्धारित की गई है। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार, 15 फरवरी, 2023 को योजना के अनुमोदन के बाद से 30 जून, 2025 तक देश भर में कुल 22,933 नई बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां पंजीकृत की गई हैं, जिनमें 5,937 एम-पैक्स शामिल हैं। इस योजना के अनुमोदन के बाद से गठित एम-पैक्स का राज्यवार विवरण अनुलग्नक- II में संलग्न है ।

पीएसीएस को मजबूत करने के लिए सरकार ने 2925.39 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ चालू पीएसीएस के कम्प्यूटरीकरण की परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के तहत देश के सभी चालू पीएसीएस को एक साझा ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ़्टवेयर पर लाना और उन्हें राज्य सहकारी बैंकों और ज़िला सहकारी बैंकों के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ना शामिल है। इस परियोजना के तहत 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 73,492 पैक्स को मंज़ूरी दी गई है। कुल 59,920 पीएसीएस को ईआरपी सॉफ़्टवेयर पर जोड़ा जा चुका है और 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा हार्डवेयर की खरीद की जा चुकी है।

पीएसीएस कम्प्यूटरीकरण परियोजना के अंतर्गत कर्नाटक से कुल 5,628 पीएसीएस को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 3,765 पीएसीएस को ईआरपी सॉफ्टवेयर पर शामिल किया जा चुका है और 5,491 पीएसीएस में हार्डवेयर वितरित किया गया है।