अपने दंतेवाड़ा प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने विकासखण्ड दंतेवाड़ा के ग्राम मसेनार एवं विकासखण्ड गीदम के ग्राम पाहुरनार को संपूर्ण जैविक ग्राम का प्रमाण पत्र प्रदान किया।

यहां देश के सबसे अधिक रकबे 65 हजार 279 हेक्टेयर एवं 110 ग्रामों में 10 हजार 264 किसानों के द्वारा जैविक खेती की जा रही है, जिन्हें वृहद क्षेत्र प्रमाणीकरण के अन्तर्गत भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के द्वारा जैविक प्रमाणीकृत किया गया है।

वर्तमान में जैविक जिला दंतेवाड़ा में विशिष्ट कार्य करने के अंतर्गत जैविक जिला में परिवर्तन कर कृषकों की आजीविका विकास के लिए जैविक खेती में वृहद स्तर पर प्रशिक्षण प्रचार प्रसार शैक्षणिक भ्रमण सिंचाई एवं अधोसंरचना विकास, मार्केट लिंकेज इत्यादि के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाकर जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न विभागों द्वारा एफपीओ प्रमाणीकरण संस्था के संबंध में कार्य किया जा रहा हैद्य जिले में रासायनिक उर्वरक एवं रासायनिक दवा पूरी तरह प्रतिबंधित है जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जिले के सभी 220 ग्रामों में तीन चरणों में कृषक खेत पाठशाला का आयोजन किया जा रहा हैद्य 300 से अधिक स्थानीय प्रगतिशील किसानों को राज्य के बाहर प्रशिक्षण देकर जैविक कार्यकर्ता एवं मास्टर ट्रेनर्स के रूप में तैयार किया गया है।

इस कार्यक्रम में जिला प्रशासन के तत्वावधान में नियद नेल्लानार योजना के तहत मुख्यमंत्री द्वारा ग्राम पंचायत चेरपाल और गोंगपाल को बस संचालन सेवा प्रांरभ करने के लिए दो बसें प्रदान की गई। जिसका संचालन सेवा महिला स्व सहायता समूह करेगीद्य दूर-दराज के ग्रामों में सरल आवाजाही के लिए प्रशासन द्वारा 6 बसें और दी जाएगी। इस मौके पर लाइवलीहुड कॉलेज से प्रशिक्षित 2 युवाओं, ग्राम धुरली के अनिल और ग्राम गामावाड़ा के गौरीश को भी टैक्सी संचालन के लिए 4 पहिया वाहन प्रदान किया गया।

जिला प्रशासन की पहचान दन्तेवाड़ा नवाचार कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्राम बालपेट के 6 माह के बालक धीरज नाग को सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे राशन कार्ड, आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, जाति एवं निवास प्रमाण पत्र के दस्तावेज भी मुख्यमंत्री के हाथों प्रदाय किया गया। पहचान दन्तेवाड़ा एप के अंतर्गत जिला प्रशासन द्वारा स्वास्थ्य विभाग, राजस्व विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग के संयुक्त समन्वय से जिले के सभी नवजात शिशुओं से संबंधित सभी आवश्यक मूलभूत दस्तावेज 4 माह के अंदर उनके पालकों को सौंपे जाने का कार्यक्रमचला चलाया जा रहा हैद्य इससे बच्चों के जन्म से बड़े होने तक सभी दस्तावेज उनके पास उपलब्ध होंगे, पालकों को इन प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर से भी मुक्ति मिलेगी|